नबी ﷺ का अपमान करने वाले के लिए मौत की सजा है

कुछ लोगों के मुंह से सुनने को मिला कि नबी ﷺ का अपमान करने वाले व्यक्ति के लिए इस्लाम मे मौत की सजा का प्रावधान है,

और इस प्रावधान का मूल वो हदीस है जिसमें एक यहूदी कवि काब बिन अल अशरफ को नबी ﷺ की आलोचना करने के अपराध मे नबी ﷺ के आदेश से कत्ल कर डाला गया था

मैं पूछता हूँ अगर ऐसा ही प्रावधान था तो नबी ﷺ की आलोचना और नबी को बुरा भला कहने वाला क्या केवल काब ही था जिसकी हत्या कर के आलोचना से छुट्टी पा ली गई ?

जी नहीं नबी ﷺ की आलोचना करने वालों की उस दौर मे कोई कमी न थी, स्वयं कुरान ही कई स्थानों पर इस बात की तस्दीक करता है माज़अल्लाह हमारे प्यारे नबी ﷺ को अरब के काफिर लोग पागल व्यक्ति कहा करते थे 
(क़ुरान सुरा हिज्र आयात 6) 

इसके अतिरिक्त नबी ﷺ को जादूगर, और एक झूठा शायर कह कह कर आप ﷺ  का अपमान किया जाता, 

आप ﷺ पर हिकारत से मक्का के काफिर जो फब्तियां कसते, वो अब भी कुरान पाक मे दर्ज हैं कि वो लोग आप ﷺ का मजाक उडाते हुए कहते थे अगर तुम नबी हो तो हम पर कोई विपत्ति लाकर दिखाओ, वे लोग नबी को देखकर ताने मारते कि अल्लाह को मोहम्मद ﷺ के सिवा कोई और आदमी न मिला था नबी बनाने के लिए

कभी मजाक उड़ाते हुए नबी ﷺ को झूठा साबित करने को कहते कि तुम नबी हो तो तुम्हारे साथ अल्लाह का कोई फरिश्ता क्यों नहीं रहता,

न सिर्फ बातों के तीर नबी ﷺ की मुबारक ज़ात पर छोड़े जाते बल्कि दूसरे भी कई तरीकों से नबी ﷺ को परेशान किया जाता,

जब आप ﷺ लोगों को दीन की दावत देने निकलते तो आप के पीछे आप ﷺ का ही चचा अबू लहब आप ﷺ को बुरा भला कहता और आप ﷺ पर मिट्टी फेंकता चलता था पर आप ﷺ कोई जवाबी कार्यवाही न करते

काफिर लोग, नबी ﷺ के घर के आगे कंटीली झाड़ियाँ डाल दिया करते थे ताकि आप ﷺ रात को घर से निकल कर बाहर जाएं तो ज़ख्मी हो जाएं 

आप ﷺ के घर के दरवाज़े पर गन्दगी फेंक दी जाती, इन बातों पर नबी ﷺ बस इतना फरमा देते कि "ऐ अब्दे मनाफ की औलाद, पड़ोस का हक खूब अदा करते हो (तारीखे तबरी)

.एक दिन नबी ﷺ खाना ए काबा मे नमाज़ पढ़ रहे सज्दे मे गए तो उक्बा बिन अबी मुईत ने अपनी चादर उमेठ के आप ﷺ की गर्दन मे डालकर कसना शुरू कर दी , हजरत अबूबक्र रज़ि. आए तो धक्का मारकर उक्बा को हटाया
 (सही बुखारी)

इसी तरह एक बार नमाज़ पढ़ते हुए नबी ﷺ की पीठ पर उक्बा ने ऊंट की ओझड़ी (मलाशय) लाकर रख दी थी

लेकिन नबी ﷺ ने न ज़हनी तकलीफ पहुंचाने वालों को पलटकर न बुरा भला कहा न शारीरिक चोट पहुंचाने वालों से कभी बदला लिया (हदीस मे है कि नबी ﷺ ने ऊंट की ओझड़ी रखने वाले को पलटकर बुरा भला नहीं कहा बल्कि अल्लाह से उन लोगों को सजा देने की दुआ की यानि अपने प्रतिशोध को अल्लाह पर छोड़ दिया 

ये दण्ड की दुआ भी सम्भवत: नबी ﷺ ने अपने कष्ट से दुखी होकर नही, बल्कि इसलिए की थी क्योंकि अल्लाह की इबादत करने मे वो लोग व्यवधान डाल रहे थे और अल्लाह का हक अदा नही होने दे रहे थे 

अन्यथा नबी ﷺ को तो जब जंग ए उहद मे काफिरो ने घायल कर के एक गड्ढे मे डाल दिया था तब भी नबी ﷺ ने किसी को बद्दुआ नहीं दी थी, 

और जब ताअफ के मैदान मे आप ﷺ को पत्थरों से लहूलुहान कर दिया गया था, आप ﷺ ने तब भी किसी का अहित नहीं चाहा  बल्कि मक्का विजय के मौके पर नबी ﷺ ने इन्हीं काफिरो को इनके धर्म पर छोड़ते हुए आम माफी का ऐलान किया था,

तो मेरे वो नबी, जिन्होने अपमान, ताने, मजाक, मखौल, गालियों को छोड़िए, खुद को भयंकर शारीरिक पीड़ा देने वालो को भी माफ कर दिया था, वो नबी केवल नबी ﷺ की आलोचना करने पर एक टुच्चे से शायर काब बिन अल अशरफ की हत्या क्यों करवाएंगे ?

दरअसल बात जैसी बताई और समझाई जा रही है वैसी है नही.

काब बिन अल अशरफ मदीना का एक यहूदी कवि था, ये इस्लाम का सख्त दुश्मन था और अपनी कविताओं के जरिए काफिरो को मुस्लिमों के विरुद्ध लड़ाई के लिए उकसाया करता था 

इतिहासकार इब्न इस्हाक के अनुसार बद्र के युद्ध मे मुस्लिमों की जीत से क्षुब्ध होकर, काब मक्का गया और वहाँ जाकर अपनी कविताओं के जरिए काफिरों को तब तक भड़काता रहा जब तक उन काफिरों ने मुस्लिमों से दोबारा युद्ध करने की ठान न ली

इसके बाद भी मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ उकसाऊ कविताएं लिखता रहा जिससे काफिरो मे मुस्लिमों पर आक्रमण कर के उनकी हत्या करने और उनकी स्त्रियों को उठा लेने की उत्तेजना और बढ़ी.

इसी जुर्म के कारण काब की हत्या की गई कि वो मुस्लिमों की हत्याओं का कारण बन रहा था, 

और लगातार मुस्लिमों की सुरक्षा और जान माल को खतरे मे डाल रहा था, न कि उसे इसलिए मारा गया कि उसने नबी ﷺ का अपमान किया, सही बुखारी और अबू दाऊद शरीफ़ की अहादीस मे भी ये कहीं नहीं लिखा कि रसूल ﷺ ने काब को मारने का हुक्म अपनी शान मे गुस्ताखी के एवज मे दिया था. 

अबू दाऊद शरीफ़ (English translation) की किताब 19, हदीस 2994 मे साफ लिखा है कि काब काफिरो को मुस्लिमों के खिलाफ उकसाया करता था 

और उसकी वजह से काफिर लोग मुस्लिमों को बुरी तरह प्रताड़ित किया करते थे, काब द्वारा अपनी इन हरकतों से बाज़ रहने की शर्त से इनकार कर देने की सजा दी गई ...

युद्ध भड़काने के जुर्म मे काब को दिया गया मृत्युदण्ड भी पूरी तरह न्यायोचित था

किसी देश मे रहते हुए दूसरे देश को उसपर आक्रमण के लिए उकसाना विश्वभर के कानूनो मे देशद्रोह के अपराध के अन्तर्गत आता है, और अधिकांश देशों मे इस अपराध के लिए मौत की सजा है, स्वयं भारत मे भी यही कानून है 

या फिर स्वयं अक्ल लगाइए अगर मैं एक मुस्लिम होकर अन्य किसी समुदाय के लोगों की हत्याओं को मुस्लिमों को उकसाता रहूँ ,

और सैकड़ों लोगों की हत्या का कारण बन जाऊं तो मुझे क्या सजा दी जाएगी ?