मुस्लिम शरीफ में एक रिवायत है, जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि० ने फरमाया नबी ﷺ ने हमें कुत्तों को मारने का हुक्म दिया, हमने आप ﷺ के हुक्म को माना, यहां तक कि हमने बाहरी क्षेत्र से आई हुई एक औरत के साथ आये उसके कुत्ते को भी मार दिया, जब रसूलल्लाह ﷺ ने ये सुना तो ऐसे कुत्तों को मारने से हमें मना किया और फ़रमाया कि तुम केवल काले कुत्तों को मारो जिनके ऊपर दो स्पॉट्स हों"
Muslim 4020
क्या कह रही है ये हदीस ? हदीस के शब्दों को पढ़ने से पता चलता है कि हदीस को काफी संक्षिप्त रूप से बयान किया गया है, किस तरह के स्पॉट्स की बात कही गई है, ये स्पष्ट नही है, काले कुत्तों में क्या बुराई है ये स्पष्ट नही
ये बात सन्तोषजनक है कि मुस्लिम समुदाय ने काले कुत्तों को मारने की कोई परिपाटी नही अपनाई है, और अपनाई भी नहीं जा सकती, क्योंकि हदीस के शब्द अस्पष्ट और संक्षिप्त हैं, ऐसी हदीस से कोई गलत शिक्षा लिए जाने की बहुत संभावना है, संक्षिप्त हदीस से कोई शिक्षा तब तक नहीं ली जा सकती जब तक इस विषय (यानी कुत्तों के साथ मनुष्यों का क्या व्यवहार हो?) से लगती अन्य हदीसों और पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं का हम अध्ययन नही कर लेते.
कुत्तों के साथ एक मुस्लिम व्यक्ति का कैसा व्यवहार हो, इस बात की चर्चा छिड़ने पर मुझे बचपन से सुनी वो कथा याद आ जाती है जो असल में एक हदीस है कि एक वेश्या के सारे पाप अल्लाह ने इस कारण माफ कर दिये थे क्योंकि एक दिन उस वेश्या ने एक प्यासे कुत्ते को पानी पिलाकर उस कुत्ते की जान बचा ली थी, उस वेश्या की इस नेकी के बदले अल्लाह ने उसके लिए जन्नत नियत कर दी थी.
Abu Huraira reported Allah's Messenger (may pace be upon him) as saying: A prostitute saw a dog moving around a well on a hot day and hanging out its tongue because of thirst. She drew water for it in her shoe and she was pardoned (for this act of hers).
Muslim 5860
बचपन से इस कहानी को सुनते रहने के कारण ही, मेरे मन में हमेशा तमाम जानवरों के लिए दयाभाव प्रबल रहा
इसी तरह बुख़ारी और मुस्लिम शरीफ में वर्णित एक हदीस है जिसमें नबी ﷺ लोगों को एक ऐसे व्यक्ति की कथा सुनाते हैं, जिस ने रेगिस्तान में प्यास से मौत के सन्निकट हुए एक कुत्ते को कुएं से पानी भर के पिला दिया, तो अल्लाह ने उस व्यक्ति की इस एक नेकी के बदले उसके पापों को क्षमा कर दिया था, लोगों ने ये कथा सुनकर नबी ﷺ से पूछा कि क्या चौपायों के साथ नेकी करने पर भी सवाब मिलता है ? इस पर आप ﷺ ने जवाब दिया कि "हां, हर जानदार के साथ नेकी करने पर सवाब मिलता है"
Narrated Abu Huraira: The Prophet said, A man felt very thirsty while he was on the way, there he came across a well. He went down the well, quenched his thirst and came out. Meanwhile he saw a dog panting and licking mud because of excessive thirst. He said to himself, This dog is suffering from thirst as I did. So, he went down the well again and filled his shoe with water and watered it. Allah thanked him for that deed and forgave him. The people said, O Allah's Apostle! Is there a reward for us in serving the animals? He replied: Yes, there is a reward for serving any animate (living being)
Bukhari 2466
अब आएं क़ुरआन पर
पालतू कुत्तों द्वारा पकड़े गए शिकार को अल्लाह ने हमारे लिये हलाल करार दिया है, यानी अल्लाह ने न अपनी किताब में कुत्तों को नापाक माना है, न उनके पालने पर रोक लगाई है, और न ही उन्हें कोई अप्रिय जानवर घोषित किया है, बल्कि क़ुरआन में असहाबे कहफ़ का किस्सा (सूरह नम्बर 18) इंसानों और कुत्ते की अद्भुत मित्रता की कहानी बताता है, जहां अल्लाह ने अपने प्रिय बन्दों के पालतू कुत्ते को भी तीन सौ वर्ष लम्बा जीवन दे दिया था.
वे आपसे प्रश्न करते हैं कि उनके लिए क्या ह़लाल (वैध) किया गया? आप कह दें कि सभी स्वच्छ पवित्र चीजें तुम्हारे लिए ह़लाल कर दी गयी हैं। और उन शिकारी जानवरों का शिकार जिन्हें तुमने उस ज्ञान द्वारा जो अल्लाह ने तुम्हें दिया है, उसमें से कुछ सिखाकर सधाया हो। तो जो (शिकार) वह तुमपर रोक दें उसमें से खाओ और उसपर अल्लाह का नाम[1] लो तथा अल्लाह से डरते रहो। निःसंदेह, अल्लाह शीघ्र ह़िसाब लेने वाला है।
1. अर्थात सधाये हुये कुत्ते और बाज़-शिक़रे आदि का शिकार। उन के शिकार के उचित होने के लिये निम्नलिखित दो बातें आवश्यक हैं- 1. उसे बिस्मिल्लाह कह कर छोड़ा गया हो। इसी प्रकार शिकार जीवित हो तो बिस्मिल्लाह कह के वध किया जाये। 2. उस ने शिकार में से कुछ खाया न हो। (बुख़ारीः175, मुस्लिमः1930)
Narrated `Adi bin Hatim: I asked the Prophet (about the hunting dogs) and he replied, If you let loose (with Allah's name) your tamed dog after a game and it hunts it, you may eat it, but if the dog eats of (that game) then do not eat it because the dog has hunted it for itself. I further said, Sometimes I send my dog for hunting and find another dog with it. He said, Do not eat the game for you have mentioned Allah's name only on sending your dog and not the other dog.
Qur'an 5.4
ऐसे में जहां कुत्तों के साथ नेक व्यवहार पर जन्नत देने की बात की जा रही हो, जहां धार्मिक ग्रन्थ कुत्तों की उपयोगिता की तारीफ़ कर रहा हो, वहां अकारण कुछ कुत्तों को मार डालने का आदेश, तब गले से नही उतरता जबकि हमने हदीस और क़ुरआन की अन्य शिक्षाएं पढ़ ली हैं जो उस हदीस से बिलकुल विपरीत बात कर रही हैं
काले कुत्तों को मारने वाली हदीस में उन कुत्तों को मारने का कोई वैध कारण नज़र नही आ रहा, इस कारण वो हदीस समझ में नही आ रही, वैसे किसी कुत्ते को मार डालने का एक प्रबल वैध कारण रेबीज़ का संक्रमण होता है और कुत्ते उसके मुख्य संवाहक होते हैं, विशेषज्ञों का मानना है कि रेबीज (हलक जाना) का कोई इलाज नहीं है और रेबीज़ ग्रसित व्यक्ति की तीन महीने के भीतर मौत होना निश्चित है।
ये बीमारी होने पर व्यक्ति के शरीर मे तेज दर्द होता है, व्यक्ति को प्यास लगती है, पर पानी देखते ही उसे दौरा पड जाता है, रोगी चीखने चिल्लाने लगता है, धीरे धीरे रोगी का व्यवहार बढ़ते रोग के साथ मनुष्य की बजाय एक हिंसक जानवर की तरह का हो जाता है, व्यक्ति बोलना छोड़ देता है और कुत्ते की तरह गुर्राना और भौंकना शुरू कर देता है, लोगों को झपटने और काटने दौड़ता है, तदन्तर रोगी की रीढ़ की हड्डी भी किसी जानवर की तरह मुड़ जाती है और अंतत: इसी कष्ट मे रोगी प्राण त्याग देता है, ये रोग कितना घातक है इसका अनुमान इस बात से लगाइए कि आज तक कोई भी इस रोग से ठीक नहीं हुआ है
रेबीज़ से ग्रसित कुत्ते जिन्हें आम भाषा में हम पागल कुत्ते कहते हैं, ये कुत्ते आक्रामक होकर हर किसी को काटने दौड़ते हैं, और जिसे काट लिया उसको प्राणघातक बीमारी निश्चित थी, इसलिये कुछ हदीसों में हम देखते हैं कि "काट खाने वाले कुत्ते यानी पागल कुत्ते क्योंकि मनुष्य के लिये प्राणघातक होते हैं, इस कारण ऐसे कुत्तों को मार देने की अनुमति दे दी गई है," (उदाहरण के लिए बुख़ारी, किताब-29, हदीस-54)
प्रतीत होता है कि जिन विशेष प्रकार के स्पॉट्स वाले काले कुत्तों को मारने का नबी ﷺ ने हुक्म दिया था वो रेबीज़ से ग्रसित कुत्ते थे,
ऐसा हो सकता है कि काले कुत्तों की कोई नस्ल जो उस समय नगर में रहती थी, में रेबीज़ फैल गया हो, हदीस में काले रंग के साथ ही दो स्पॉट्स यानी दो निशानों की बात भी है, ये दो रहस्यमयी निशान, जिन पर हदीस में खुलकर नही बताया गया है, ये रेबीज़ के दो निशान यानी ग्रसित कुत्तों के खुले जबड़े और टपकती लार हो सकते हैं.
हो ये भी सकता है कि "काले कुत्तों" से आशय "पागल कुत्ते" हों जैसे हमारी भाषा में काले का अर्थ बुराई से लिया जाता है और "काली नज़र" या "काली करतूत" जैसे शब्द प्रयोगों के हम शाब्दिक अर्थ न लेकर अलंकारिक अर्थ समझ जाते हैं, ऐसे ही हो सकता है अरब में शब्द "काले" का अलंकारिक प्रयोग किसी चीज़ की भयावहता बताने के लिए किया जाता हो, और "काले कुत्तों" से अर्थ उनमें फैले भयावह संक्रमण से लिया जाता हो.
बहरहाल सच्चाई चाहे जो हो, इतना तय है कि किसी जानवर की नस्ल या वंश को अकारण हानि पहुँचाने की शिक्षा इस्लाम कहीं नही देता.