कुछ भाई पवित्र कुरान का उपहास करते हुए कहते हैं कि कुरान मे लिखा हुआ है कि केवल अल्लाह ही ये बात जानता है कि किसी स्त्री के गर्भ मे बेटा या बेटी क्या है, और अल्लाह के अतिरिक्त इस बात को कोई नहीं जान सकता कि स्त्री के गर्भ मे क्या है,
शायद अल्लाह नहीं जानता था कि मनुष्य आगे चलकर ऐसी मशीनों का आविष्कार कर लेगा जिससे न सिर्फ वो स्त्री के गर्भ की कमी बेशी का पता लगा लेगा, बल्कि ये भी बड़ी आसानी से पता लगा लेगा की उस स्त्री के पेट मे लड़की है या लड़का
आज सोनोग्राफी के माध्यम से ये सब कुछ सम्भव है
यानी जिस कुरान को मुस्लिम विज्ञान सम्मत बताते नहीं थकते, उसी कुरान को विज्ञान ने गलत साबित कर दिया ।
उत्तर देने से पहले मैं एक बात बता दूं कि हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखने वाले मुस्लिम ये जानते हैं कि पवित्र आयत में गर्भस्थ शिशु के जेंडर और स्वास्थ्य की जानकारी से बहुत अधिक जानकारी की बात अल्लाह ने की है, यानि जन्म लेने वाले की पूरी जिंदगी में आने वाले हालात की जानकारी, जन्म लेने वाला अपने जीवन में अच्छे स्वभाव का होगा या बुरे स्वभाव का इसकी जानकारी, उसकी कुल जीवन अवधि समेत ऐसी अनेक बातों की जानकारी जिन्हें मनुष्य लाख सर पटक कर भी नही पा सकते
लेकिन जिन लोगों का इस्लाम या क़ुरआन के आध्यात्मिक पहलुओं पर विश्वास नही तो वो केवल आयत में लिखे हुए शब्दों के आधार पर प्रश्न करते हैं, और ऐसे लोग हमारे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से संतुष्ट नही होते.
ऐसे लोगों को हम संतुष्ट कर भी नही सकते, जब तक अल्लाह उन्हें संतुष्ट न करना चाहे.
लेकिन ऐसे प्रश्न जब आते हैं, तो इनका जवाब देते हुए खुद हमारा विश्वास अल्लाह की महानता पर बढ़ता जाता है
क्योंकि हम पाते हैं कि अल्लाह ने ऐसे मौकों पर भी किसी भी तरह अपनी आयतों पर सवाल उठाये जाने की थोड़ी भी आशंका बाकी नही रखी है
मैं आपको जिस आयत पर प्रश्न किया गया है उस आयत का अनुवाद दिखाना चाहता हूँ , आयत ये है
"निसन्देह अल्लाह के पास कयामत की घड़ी का ज्ञान है, और वह बारिश बरसाता है , और जानता है जो कुछ गर्भाशयों मे होता है, कोई नहीं जानता कि वो अगले दिन क्या कमाएगा और कोई व्यक्ति नहीं जानता कि किस भूभाग मे उसकी मृत्यु होगी । निसन्देह अल्लाह जानने वाला और खबर रखने वाला है ॥"
क़ुरआन 31:34
आयत को गौर से पढ़िए तो आप पाएंगे कि वहाँ ये जरूर लिखा है कि गर्भाशय मे क्या है इसका ज्ञान अल्लाह के पास है, पर वहाँ इस बात का दावा नहीं किया गया कि अल्लाह के अतिरिक्त इस बात का कुछ आंशिक ज्ञान भी कि गर्भ मे क्या है अन्य किसी को नहीं है, या नही हो सकता,
जिस बात के लिए ये दावा किया गया है कि उस बात का ज्ञान अल्लाह के अलावा किसी और को नहीं हो सकता वो बात गर्भ के भीतर का ज्ञान नहीं बल्कि कोई और ही बात है ॥
देखिए आयत मे केवल एक बात ( गर्भाशय का ज्ञान ) ही नहीं, बल्कि एक से अधिक विषयों की बात लिखी गई है [ 1- कयामत की घड़ी का ज्ञान, 2- वर्षा करने की अधिकार शक्ति, 3- गर्भाशय का ज्ञान, 4- व्यक्ति के अगले दिन की कमाई का ज्ञान, 5- और व्यक्ति के मृत्यु-स्थल का ज्ञान ]
इनमें से हर एक बात के साथ ये नहीं लिखा कि उसे अल्लाह के अतिरिक्त कोई नहीं जान सकता...
आयत के शुरुआती भाग को दोबारा पढ़िए
निसन्देह अल्लाह के पास कयामत की घड़ी का ज्ञान है, और वह बारिश बरसाता है
और जानता है जो कुछ गर्भाशयों मे होता है
देखिए यहां कहीं नहीं लिखा कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई नहीं जानता कि गर्भ मे क्या है
इसके बाद जाकर आयत मे उन बातों का जिक्र किया गया है जिनका ज्ञान केवल अल्लाह के पास है और उन्हें अल्लाह के अलावा कोई और नहीं जान सकता
कोई नहीं जानता कि वो अगले दिन क्या कमाएगा और कोई व्यक्ति नहीं जानता कि किस भूभाग मे उसकी मृत्यु होगी ।
निसन्देह अल्लाह जानने वाला और खबर रखने वाला है.
देखिए स्पष्ट पता चल रहा है कि आयत मे केवल दो ही बातों के लिए यानि
1- व्यक्ति के अगले दिन की कमाई के ज्ञान,
2- और व्यक्ति के मृत्यु-स्थल के ज्ञान के लिए ही ये दावा किया गया है कि उन्हें अल्लाह के अतिरिक्त और कोई नही जानता,
जो कि सदैव अटल सत्य रहेगा,
इन दोनों बातों के सिवाय अन्य किसी बात के लिए आयत मे तो ऐसा दावा नहीं किया गया है,
इस आयत में अल्लाह द्वारा वर्षा कराने का भी ज़िक्र है, अगर इसके साथ ये भी दावा होता कि अल्लाह के सिवा कोई और वर्षा नही करा सकता तो विरोधियों को एक और मौका मिल जाता क़ुरान को गलत कहने का, क्योंकि आज इंसान विज्ञान की मदद से कृत्रिम वर्षा कराने में सक्षम है, लेकिन वर्षा के मामले में भी अल्लाह ने "कोई दूसरा नही करा सकता" वाला दावा नही किया ॥
तो इस आयत को देखकर हमारे वो गैरमुस्लिम भाई जो क़ुरआन को मनुष्य की रचना समझते हैं उनको इस बात का आश्चर्य होना चाहिये कि 1400 वर्ष पहले क़ुरआन के रचयिता को कैसे इस बात का ज्ञान था कि आनेवाले समय मे मनुष्य कृत्रिम वर्षा कराने और सोनोग्राफी की तकनीकी विकसित कर लेगा, जो उसने इस विषय में कोई ऐसा दावा नही किया जो भविष्य में गलत सिद्ध हो जाता ??
आप आश्चर्य कीजिये, हमारा तो विश्वास इस प्रश्न के बाद अपने रब्ब पर और बढ़ ही गया है, बेशक़ अगर इंसान कुरआन को लिखता तो ऐसी ही गलतियां करता जो आने वाले समय में विज्ञान के अविष्कारों द्वारा झूट ठहरा दी जातीं... लेकिन पवित्र कुरआन का रचयिता तो खुद इस पूरे जहान का मालिक अल्लाह ही है, तो वो ऐसी गलतियां कैसे करता ? अल्लाह ने ही तो भविष्य में कृत्रिम वर्षा और सोनोग्राफी आदि की तकनीकी मनुष्य को देना नियत किया था,
इसीलिए कुरान के रचयिता अल्लाह ने आयतों को रचते समय उसमे ऐसी कोई बात नही लिखी जो आगे चल कर गलत सिद्ध हो जाती और क़ुरान पाक से लोगों की बदगुमानी का सबब बनती
निसन्देह अल्लाह तो भूत भविष्य और वर्तमान, मनुष्य और विज्ञान सभी का निर्माता है, वो अपनी रचना के बारे मे सटीक जानकारी नहीं रखेगा तो फिर कौन रखेगा ?
साथ ही यहाँ इस आयत का सूक्ष्म निरीक्षण कर के ये साफ हुआ कि सोनोग्राफी से इनसान ने जो थोड़ा बहुत गर्भ के बारे मे जाना भी है, या कृत्रिम वर्षा की तकनीक जानी भी है, तो वो भी कुरान पाक के खिलाफ जाकर नही.
अल्लाह की इच्छा बिना नहीं जाना सीखा, बल्कि अल्लाह ने सिखाया, जानकारी दी तब इंसान ने जाना.
बेशक़ अल्लाह ही हर शय पर क़ादिर है !