किसने साबित किया कि हज़रत मुहम्मद ﷺ ही वाक़ई में अल्लाह के नबी थे ?
अक्सर विरोधी ये कहा करते हैं कि हज़रत मुहम्मद ﷺ ने अपने निजी लाभ के लिए और खुद को प्रसिद्ध करने के लिए यूँ ही खुद को अल्लाह का नबी घोषित कर दिया था (अस्तग़फ़ार)
भाइयों, ये आरोप लगाते समय ध्यान रखिए कि काबे का संरक्षण पहले से ही नबी ﷺ के खानदान के हाथों मे ही था. सो अगर खुद को सबसे आला मकाम पर पहुंचाने के लिए नबी ﷺ ने ख़ुद को अल्लाह का रसूल बता दिया था तो होना तो ये चाहिए था कि काबे की चाबियां मक्का वाले नबी ﷺ के हाथों मे ख़ुशी से रख.
मगर हुआ क्या ? तमाम मक्का वाले हज़रत मोहम्मद ﷺ की जान के दुश्मन बन गए
हज़रत मोहम्मद ﷺ ने नबी होने की घोषणा के साथ अपने समाज के प्रचलनों, यानी दासो के साथ दुर्व्यवहार, स्त्रियों के यौन शोषण और अबोध बच्चियों की हत्या का विरोध करना शुरू कर दिया.
इसमें नबी ﷺ का निजी लाभ क्या था ?
बल्कि इन कामों की वजह से अरब के पुरोहितो ने आप ﷺ को अपार कष्ट देने शुरू कर दिये,
फिर भी अपने मार्ग पर नबी ﷺ अडिग रहे,
जबकि अगर उन्होंने निजी लाभ के लिये यूं ही खुद को नबी घोषित कर दिया होता तो उन्हें अरबी कुप्रथाओं का विरोध करना तभी बन्द कर देना चाहिए था,
और अपनी स्ट्रैटजी पुरोहितों की हां में हां मिलाने वाली कर लेनी चाहिये थी, जब लोगों ने उनका विरोध करना शुरू किया था
पर समाज के पुरजोर विरोध के बावजूद जिस तरह नबी ﷺ अपनी बात पर अटल रहे इसी से साबित हो जाता है कि वे हवा मे बातें नहीं कर रहे थे बल्कि उन्हें वास्तव मे ईश्वर की ओर से प्रेरणा मिलती थी ॥
नबी ﷺ का अल्लाह, ईश्वर से वाक़ई में कोई सम्पर्क था ?
क्या हज़रत मुहम्मद ﷺ के दावे के अनुसार वाक़ई में उन के पास कोई फरिश्ता आता था या नहीं,
इस बात का निर्णय आप ऐसे कर सकते हैं कि नबी ﷺ ने उस फरिश्ते द्वारा जिस संदेश "कुरआन" के सुनाए जाने का दावा किया है,
उस संदेश की बातों पर विचार कर लें
पहले ये देखिये कि क़ुरआन में मानव कल्याण की बातें लिखी हैं,
और बहुत सी ऐसी भविष्यवाणियां हैं जो समय समय पर सच्ची होती रही हैं.
फिर आप देखें कि इस कुरान मे कुछ ऐसी बातें हैं जिनका पता उस समय के किसी व्यक्ति को नहीं था
जैसे कि "अल्लाह ने धरती का आकार अण्डे जैसा बनाया" आज विज्ञान प्रमाणित कर चुका है कि धरती अण्डाकार है पर 1400 वर्ष पूर्व ये बात नबी ﷺ को किसने बताई ?
Qur'an 79:30
मिस्र के फिरऔन जिसने मूसा के समुदाय पर आक्रमण किया था उसकी डेड बॉडी के सुरक्षित रहने का दावा भी कुरान मे है "इसलिए हम तेरे जिस्म को बचा लेंगे, ताकि तू अपने बाद वालों के लिए एक निशानी हो जाए ! बेशक बहुत से लोग हमारी निशानियों की तरफ सेलापरवाह रहते हैं
Qur'an 10.92
1898 मे मिस्र मे नील नदी के पास से मिली एक अतिप्राचीन देह पर 1980 के दशक मे फ्रांस के डाक्टर मौरिस बुकाय ने परीक्षण किए और ये घोषणा की थी कि ये उसी फिरऔन की देह है
शिशु के लिंग निर्धारण के लिए मां नहीं बल्कि पिता का शुक्राणु जिम्मेदार है ये बात भी कुरान मे लिखी है "और यह कि उसने दोनों लिंगों, पुरुष और महिला को बनाया है , वीर्य की एक बूंद से ; जबकि उसे (माता के गर्भाशय में ) प्रविष्ट कराया जाता है जबकि इस बात का पता आधुनिक विज्ञान को अब से महज कुछ समय पहले ही लगा है
Quran 53.45-46
ये तो केवल कुछ बातें मात्र हैं, कुरान ऐसे आश्चर्यो से भरी पड़ी है
और जब आप इस बात पर सोच विचार करते हो कि "जब इन बातों का पता विज्ञान को आज लगा, तो आज से 1,400 साल पहले कुरान तक इस ज्ञान के पहुंचने का स्रोत क्या और कैसे रहा होगा ?
तो आपके पास एक ही जवाब होता है, कि निश्चित ही वह कोई चमत्कार, कोई दैवीय स्रोत, कोई फरिश्ता रहा होगा, जिसने ये तमाम बातें नबी ﷺ को बताई थीं, और ईश्वर का संदेश मानवजाति तक पहुंचाया था
और फिर उसी फरिश्ते ने एकेश्वरवादिता और मानव कल्याण की वो तमाम बातें भी नबी ﷺ को बताई थीं,
जिनके प्रचार के लिए नबी ﷺ ने आजीवन लोगों के विरोध और कष्ट सहे, जिनपर अमल करने के लिए नबी ﷺ ने सुख और ऐश्वर्य का त्याग कर दूसरों को लाभ पहुँचाते हुए अपना सारा जीवन गुज़ार दिया
इससे ज़्यादा क्या सबूत चाहिये हज़रत मुहम्मद ﷺ के अल्लाह का नबी होने का ?