गैर मुस्लिमों के मक्का प्रवेश करने पर रोक

सवाल:- 
गैर मुस्लिमों को मक्का और मदीने में जाने की अनुमति क्यों नहीं दी जाती

जवाब:-
यह बात सही है कि इस्लामी धर्म के अनुसार गैर मुस्लिमों को मक्का और मदीना जाने की अनुमति नहीं है इस संबंध में आगे कुछ बातें बयान की जा रही है जिनसे ज्ञात होगा कि इस प्रकार की रोक और पाबन्दी के पीछे बड़ी तत्वदर्शिता छिपी है

🅰 तमाम नागरिकों को फौजी इलाकों में प्रवेश अनुमति नहीं
मैं भारत का नागरिक हूं फिर भी मुझे इस बात की अनुमति प्राप्त नहीं है कि मैं उन स्थानों पर जा सकून जहां आम लोगों का जाना मना है
जैसे फौजी इलाके।

हर देश में ऐसे कुछ स्थान होते हैं जहां आम नागरिकों को प्रवेश की अनुमति नहीं होती केवल उन नागरिकों को प्रवेश की अनुमति होती है जो फौज और उससे संबंध है या उन लोगों को अनुमति होती है जो रक्षा विभाग से संबंधित है
इस्लाम एक विश्वव्यापी धर्म है जो पूरी दुनिया और संपूर्ण मानवता के लिए है इस्लाम का धार्मिक दृष्टि से फौजी क्षेत्र दो पवित्र स्थल है एक मक्का और दूसरा मदीना

इन दोनों जगहों पर जाने की अनुमति सिर्फ उन्हीं लोगों को है जो इस्लाम में विश्वास रखते हैं और इस्लाम की सुरक्षा में लगे हुए है जिन्हें मुसलमान कहते है
जिस प्रकार आम नागरिकों के लिए यह बात अक्ल और बुद्धि के विरुद्ध होगी के वे फौजी क्षेत्रों में प्रवेश के निषेध पर आपत्ति करें उसी प्रकार इस्लाम में विश्वास न रखने वालों के लिए भी यह बात अनुचित है कि वे मक्का और मदीना में गैर मुस्लिमों के प्रवेश पर जो पाबंदी है उस पर आपत्ति करें और उसे गलत ठहराए

🅱 मक्का और मदीना में प्रवेश के लिए अनुमति-पत्र
एक व्यक्ति जब किसी देश की यात्रा का इरादा करता है तो उसे सबसे पहले उस देश में प्रवेश का अनुमति पत्र वीजा प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होता है हर देश का अपना कानून नियम और मांग होती हैं जब तक संतोषप्रद ढंग से नियमों को पूरा नहीं कर लिया जाता उस समय तक वीज़ा जारी नहीं किया जाता

जो देश वीज़ा देने में कठोरता दिखाते हैं उनमें से एक अमेरिका है विशेषकर जब यह वीजा दुनिया के किसी तीसरी देश के नागरिक के लिए जारी करना हो तो अमेरिका की ओर से उससे वीजा जारी करने से पूर्व अनेक नियमों और जाब्तों की पूर्ति कराई जाती है

सिंगापुर की यात्रा इमेग्रेशन फॉर्म पर लिखा रहता है की मादक वस्तुओं का धंधा करने वालों के लिए मौत की सजा है अगर हमें सिंगापुर जाना है तो हमें उनके कानून पर अमल करना होगा हम यह नहीं कह सकते कि मौत की सजा क्रूरता और वहशियत पर आधारित है अगर हम उनकी शर्तों और नियमों से सहमत हैं तभी हमें इच्छानुसार संबंधित देश में जाने की अनुमति दी जा सकती हैं
मक्का और मदीना में प्रवेश के लिए बुनियादी शर्त

ला इला-ह इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह पर इमान लाना हैं
जिसका अर्थ है नहीं हैं कोई पूज्य प्रभु सिवाय अल्लाह के और मुहम्मद उसके पैग़म्बर है

✍️ Mohammad Imran Khan